Sunday, October 25, 2020

तमन्ना

ख़ाली हो जाऊँ मैं ख़ुद से, 

तब तुम समाना ऐसे, 

तुम्हारी आवाज़, तुम्हारी चाहतें, 

मेरे ज़रिये निकलें, मुक़म्मल हों। 


मैं ज़मीं पे घूमूँ जैसे चींटी आवारा 

भटकूँ तुम्हारी तलाश में धरा

तुम चीनी की बोरी बन जाना  

मुझे तुम एक क़तार में लाना ।  


सारा आकाश तो नहीं 

एक टुकड़ा बादल का सही 

तुम सदा सर पे छाए रहना 

बारिश की झींसी सी रिसना 

तन पे मेरे चमकना। 


मैं पत्तों सा खनकूँ 

जब भी तुम आओ 

चिड़िया बन झूमूँ डालियों पे 

साँप बन मिट्टी में मिल जाऊँ।