Sunday, June 17, 2018

अंदर-बाहर


रबर की रूह से 
लिपटे जलन की 
आग में सुलगता 
सीने में धड़कता 
कार्बन का एक 
ढेला। 
नसों में धकेलता 
धुआं 
आँखों से टपकती 
रात 
झड़ते बाल, बंजर 
कपार से, सूखे 
पत्तों की आवाज़ 
चिड़ियों का घोंसला 
बादल में 
सल्फर की सनसनाहट 
नोचे हुए मुँह पे 
स्याह खरोंच 
ठूंठ जैसे पेड़ 
घोंपे हुए 
धरती में 
घाँस झाँट जैसे 
रेत में 
कैक्टस का पौधा 
कठोर, कँटीला, हरा 
अंदर नमी से भरा।

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