Saturday, April 8, 2017

आज मेरी बारी थी

लफ़्ज़ हल्के हैं
ज़ुबाँ भारी है
आज मेरी बारी थी
कल तुम्हारी है।

वक़्त ठहरा है
घड़ी चलती है
ज़िंदगी थमी है
उम्र जारी है।

आँसू छलके हैं
हँसी थरथरायी है
दिल खोल पाना
कितना भारी है।

चुप हो, तो मरे हो
बोलो, तो मरोगे
बोल के मरो, मौत से पहले
मरना एक बीमारी है।

2 comments:

  1. It captures our infirmities as humans, especially in our age.

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