लफ़्ज़ हल्के हैं
ज़ुबाँ भारी है
आज मेरी बारी थी
कल तुम्हारी है।
वक़्त ठहरा है
घड़ी चलती है
ज़िंदगी थमी है
उम्र जारी है।
आँसू छलके हैं
हँसी थरथरायी है
दिल खोल पाना
कितना भारी है।
चुप हो, तो मरे हो
बोलो, तो मरोगे
बोल के मरो, मौत से पहले
मरना एक बीमारी है।
ज़ुबाँ भारी है
आज मेरी बारी थी
कल तुम्हारी है।
वक़्त ठहरा है
घड़ी चलती है
ज़िंदगी थमी है
उम्र जारी है।
आँसू छलके हैं
हँसी थरथरायी है
दिल खोल पाना
कितना भारी है।
चुप हो, तो मरे हो
बोलो, तो मरोगे
बोल के मरो, मौत से पहले
मरना एक बीमारी है।
It captures our infirmities as humans, especially in our age.
ReplyDeleteYes, the very inability to express them
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