घड़ी की सुई पे
फिसलता वक़्त
सिमटी हुयी रौशनी
कलम की परछाईं
काग़ज़ को काला
करती हुयी
रात
मोहब्बत
के पीठ तले
छिपी हुयी
तन्हाई
समय का समंदर
स्मृति की धाराएं
इतिहास का दलदल
धंसता हुआ
आदमी
डूबता हुआ देश
उगता हुआ अँधेरा
ऊँघते सितारे
फटी हुयी
आँखें
सपने
चूते हुए से
थकी हुयी
आत्मा
टूटा हुआ
शरीर
भाड़े का दिन
किराए की
रात
चुराए हुए
सपने
चलती हुयी घड़ी
रुका हुआ वक़्त
आँखों से नींद के चले जाने से
क्या-क्या दिखाई देता है
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