Friday, June 22, 2018

नज़र

घड़ी की सुई पे 
फिसलता वक़्त 
सिमटी हुयी रौशनी 
कलम की परछाईं 
काग़ज़ को काला 
करती हुयी 
रात 
मोहब्बत 
के पीठ तले 
छिपी हुयी 
तन्हाई 
समय का समंदर
स्मृति की धाराएं 
इतिहास का दलदल 
धंसता हुआ 
आदमी 
डूबता हुआ देश
उगता हुआ अँधेरा 
ऊँघते सितारे 
फटी हुयी 
आँखें
सपने 
चूते हुए से 
थकी हुयी 
आत्मा 
टूटा हुआ 
शरीर 
भाड़े का दिन 
किराए की 
रात 
चुराए हुए 
सपने 
चलती हुयी घड़ी 
रुका हुआ वक़्त 
आँखों से नींद के चले जाने से
क्या-क्या दिखाई देता है 

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