जिन बादलों ने कल तलक
अपनी आवाजाही से
सूरज को नज़रबंद किया था
और आसमान को रंगा था
काला, सफ़ेद और वो सबकुछ
जो रौशनी और अँधेरे,
कुछ लेन - देन कर,
सतहों के इर्द - गिर्द बनाते हैं
वो बादल, इतने गहरे
गर बरसे तो बारिश
उनमें फँस जाये।
इतने ठोस
गर गिरे तो दरख़्त
कील की तरह
धरा में धँस जाये।
आज वही बादल
छितरे पड़े हैं
पॉवरोटी के पतले टुकड़ों की तरह
मानो उँगलियों से उन्हें
किसी ने गींज दिया है।
सूरज की रौशनी उन्हें भिगो रही है
और वो घुलते जा रहे हैं
आसमान में लुप्त होते जा रहे हैं।
अपनी आवाजाही से
सूरज को नज़रबंद किया था
और आसमान को रंगा था
काला, सफ़ेद और वो सबकुछ
जो रौशनी और अँधेरे,
कुछ लेन - देन कर,
सतहों के इर्द - गिर्द बनाते हैं
वो बादल, इतने गहरे
गर बरसे तो बारिश
उनमें फँस जाये।
इतने ठोस
गर गिरे तो दरख़्त
कील की तरह
धरा में धँस जाये।
आज वही बादल
छितरे पड़े हैं
पॉवरोटी के पतले टुकड़ों की तरह
मानो उँगलियों से उन्हें
किसी ने गींज दिया है।
सूरज की रौशनी उन्हें भिगो रही है
और वो घुलते जा रहे हैं
आसमान में लुप्त होते जा रहे हैं।
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