Monday, September 17, 2018

हम उम्र भर सफ़र करें

कहीं   और  अब  बसर  करें
कहीं   और  अब  गुज़र  करें

ज़मीं पे बिखरी सड़कों से हम
कुछ ऐसी  राहें  मयस्सर करें

जिनपें  हम    चलते  -  चलते
रात      को      सहर      करें

बग़ैर मंज़िल की राहों को हम
शाद   महज़    चलकर  करें

आवारगी    ज़ाया     न    हो
हम   उम्र  भर    सफ़र  करें

हम   उम्र   भर  सफ़र  करें।।

[ग़ुज़र: to depart; मयस्सर: possible; सेहर: dawn]












2 comments: