Wednesday, February 6, 2019

दिन

ठंडा और उदास दिन
बेचैन, बदहवास दिन।

बादलों से ढका हुआ
मैला सा लिबास दिन।

रोज़ाना घर से निकलता
यहीं कहीं आस-पास दिन।

दिल को मारता, पेट के लिए
करता दिनभर बकवास दिन।

शाम को आता, दरवाज़ा खोलता
लिए कल की आस दिन।

रात होते होते
कलम में भरता मिठास दिन।

उम्मीद से कहता
कल है तुम्हारे पास दिन।

नींद आ जाती, भले न आये
उस रोज़ रास दिन। 

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