मन्नतें तो करते हैं ख़ुदा से बहुत मगर
किसी से कोई फ़रियाद नहीं है
तंग हाथों से लुटाया हमने
देकर भूल गए, उन्हें लेकर याद नहीं है
कमाई कुछ ऐसे बचाते हैं हम
किताबें हैं जायदाद नहीं है
तरबियत कुछ ऐसी मिली उससे
उसके ग़ुज़रने पे भी हद से आज़ाद नहीं हैं
'शजर' से पूछ लेना खड़े होने का राज़
गर मकाँ ऊँचा है और गहरी बुनियाद नहीं है
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ताबिश नवाज़ 'शजर'
[तरबियत = Teaching, Upbringing]
किसी से कोई फ़रियाद नहीं है
तंग हाथों से लुटाया हमने
देकर भूल गए, उन्हें लेकर याद नहीं है
कमाई कुछ ऐसे बचाते हैं हम
किताबें हैं जायदाद नहीं है
तरबियत कुछ ऐसी मिली उससे
उसके ग़ुज़रने पे भी हद से आज़ाद नहीं हैं
'शजर' से पूछ लेना खड़े होने का राज़
गर मकाँ ऊँचा है और गहरी बुनियाद नहीं है
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ताबिश नवाज़ 'शजर'
[तरबियत = Teaching, Upbringing]
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