सुबह आएगी, सवेरा होगा
मंज़िलें मिलेंगीं, बसेरा होगा
सत्य आज़ाद होगा
सपनों पे ना कोई पहरा होगा
ख़ुदा, कानून से सब बेपरवाह होंगे
पर यक़ीं सभी को दिल में गहरा होगा
हवाओं से बेख़ौफ़ जलेंगें चराग़
उनके बुझने से न कभी अँधेरा होगा
ऐसी आबाद होगी रौशनी
ऐसा वक़्त सुनहरा होगा।
--- ताबिश नवाज़
मंज़िलें मिलेंगीं, बसेरा होगा
सत्य आज़ाद होगा
सपनों पे ना कोई पहरा होगा
ख़ुदा, कानून से सब बेपरवाह होंगे
पर यक़ीं सभी को दिल में गहरा होगा
हवाओं से बेख़ौफ़ जलेंगें चराग़
उनके बुझने से न कभी अँधेरा होगा
ऐसी आबाद होगी रौशनी
ऐसा वक़्त सुनहरा होगा।
--- ताबिश नवाज़
सुनहरा वक़्त ज़रूर आएगा.
ReplyDeleteYes Mritunjay it will come.
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